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Thursday, August 20, 2020

जनम दिन

रिश्ता नहीं बस इस जनम का, कई जन्मों का साँथ है कोई 

जैसे तुम भाये हो दिल को, कहाँ ऐसे भाता है कोई

संग तेरे जहाँ पहुँच गया हूँ, बिरले पहुँच पाता है कोई

आभार, बहुत अनुमोदना सहित, दिल में भर आता है कोई

जान हो, पहचान हो, सम्पूर्ण बस श्रद्धान हो

तत्व, अनुपम तत्व हो, स्वतत्व का ही ध्यान हो

विरल इस पर्याय में, पुरुषार्थ विरल वो प्रकट हो

निकट मेरे ह्रदय तो, अब स्वहृदय के निकट हो

हो जो तुम, बस हूँ वही मैं, दृष्टि का ही विकास हो

शुभकामना इस जनमदिन पर, जन्मातीत प्रकाश हो

Sunday, July 5, 2020

तेरे संग

हँसी तब भी थी, हॅंसी आज भी है
बस तेरे संग हँसते हँसते ख़ुशी का रास्ता मिल गया

चलता तब भी था, चलता आज भी हूँ
बस तेरे संग चलते चलते सहीं रास्ते से वास्ता मिल गया

देखता तब भी था, देखता आज भी हूँ
बस तेरे संग देखते देखते दृष्टि को दृष्टिकोण मिल गया

जीता तब भी था, जीता आज भी हूँ
बस तेरे संग जीते जीते ज़िन्दा है कौन मिल गया

Friday, May 1, 2020

अनित्य

अनित्य जो अनादि से, अनित्य जो अनंत तक
योग वो, वियोग वो, अनित्य राजा रंक तक

अनित्य राग द्वेष भी, अनित्य दम्भ शोक तक
अनित्य मन, अनित्य वच, अनित्य काय योग तक

अनित्य पर, ये नित्य धर, अनित्य जायेगा गुज़र
त्रिकालि ध्रुव ही नित्य बस, त्रिकालि ध्रुव में कर बसर

Saturday, April 18, 2020

सच कहूँ तो

विकल भले ही अंग कोई हो, सकल मगर संवेदना होती
नूर भले न हो आँखों में, नज़र मगर अन्तर में होती

सब कुछ ना पाकर भी, मतलब ज़िन्दगी उनकी कभी ना खोती
सुप्त भले ही अंग कोई हो, आतम शक्ति मगर ना सोती

सकल अंग, संवेदनहीनता, परिपोषित बस जिनको होती
दृश्टिगोचर नहीं भले पर, निश्चय वही विकलाँगता होती