रिश्ता नहीं बस इस जनम का, कई जन्मों का साँथ है कोई
जैसे तुम भाये हो दिल को, कहाँ ऐसे भाता है कोई
संग तेरे जहाँ पहुँच गया हूँ, बिरले पहुँच पाता है कोई
आभार, बहुत अनुमोदना सहित, दिल में भर आता है कोई
जान हो, पहचान हो, सम्पूर्ण बस श्रद्धान हो
तत्व, अनुपम तत्व हो, स्वतत्व का ही ध्यान हो
विरल इस पर्याय में, पुरुषार्थ विरल वो प्रकट हो
निकट मेरे ह्रदय तो, अब स्वहृदय के निकट हो
हो जो तुम, बस हूँ वही मैं, दृष्टि का ही विकास हो
शुभकामना इस जनमदिन पर, जन्मातीत प्रकाश हो
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