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Friday, May 1, 2020

अनित्य

अनित्य जो अनादि से, अनित्य जो अनंत तक
योग वो, वियोग वो, अनित्य राजा रंक तक

अनित्य राग द्वेष भी, अनित्य दम्भ शोक तक
अनित्य मन, अनित्य वच, अनित्य काय योग तक

अनित्य पर, ये नित्य धर, अनित्य जायेगा गुज़र
त्रिकालि ध्रुव ही नित्य बस, त्रिकालि ध्रुव में कर बसर

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