बरसेंगे बादल जमकर, घटाओं ने समंदर पिया है
भीगेगा किनारा बड़ी दूर तलक, सागर ने सब्र बहुत किया है
सन्नाटा है पसरा हुआ, तूफ़ान छुप छुप कर जिया है
टूट गिरेगा चाँद गगन से, तारा तो बहुत टूटा किया है
चलते हैं कदम, गुज़रता है वक़्त भी, किनारा रास्ते से मन ने किया है
धड़कती हैं आँखें, भीगता है दिल, ख़ामोशियों ने लबों को सिया है
खुली पलकों में नदारद है जो, बंद पलकों से हाँसिल किया है
अँधेरे में आँखों को नज़र मिली है, उजालों ने फ़क़त छला ही किया है
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