सपना एक निगाहों से ऐसा टकराया
निगाहों के रास्ते सीधा दिल में उतर आया
सपने में फिर ऐसा खोने लगा ये दिल
सपने में सपने संजोने लगा ये दिल
किनारे कर दिया हक़ीकत की हर बात को
हक़ीकत दिल मान बैठा सपने के उस सांथ को
आँख खुली कई बार सपना अधूरा हर बार पाया
पर बावरा मन सपना पूरा करने, फिर सोने की ज़िद पकड़ आया
जागते सोते सपने का संसार युहीं बनाता रहा
हर कोशिश के सांथ दिल सपने के और करीब जाता रहा
कोशिश यही थी कि सपना ये ना टूटने पाए
हक़ीकत के पन्नों पर अंकित हमेशा के लिए हो जाए
हक़ीकत ने आख़िरकार सोते हुए मन को झकझोर दिया
खुली आँखें ऎसी कि ना सो पायीं फिर, सपना जो अपना था हक़ीकत ने तोड़ दिया
टीस रह गयी दिल में सपने को पूरा ना कर पाने की
चाहत के इतना करीब आके फिर दूर हो जाने की
नहीं मिला वो सपना तो सोने की अब ख़्वाहिश ना रही
किसी दूसरे सपने की निगाहों में कोई गुंजाइश ना रही
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