विकल भले ही अंग कोई हो, सकल मगर संवेदना होती
नूर भले न हो आँखों में, नज़र मगर अन्तर में होती
सब कुछ ना पाकर भी, मतलब ज़िन्दगी उनकी कभी ना खोती
सुप्त भले ही अंग कोई हो, आतम शक्ति मगर ना सोती
सकल अंग, संवेदनहीनता, परिपोषित बस जिनको होती
दृश्टिगोचर नहीं भले पर, निश्चय वही विकलाँगता होती