आज फिर दिल उदास है
कुछ लम्हों की इसे फिर तलाश है..
बैचैन है दिल आज फिर अकेलेपन से
गहराई में दिल की..किसी दर्द का फिर अहसास है..
आज फिर दिल..
नहीं कह पाऊंगा होंठों से कभी शायद
शुक्र है कोई तो ज़रिया मेरे पास है..
कहता है दिल रो लेने दे मुझको आज
आँसू ही बुझा पाएँगे ऐसी ये प्यास है..
आज फिर दिल..
लगता था डर जब कभी
दौड़ कर चला जाता था..
छुप जाता था साए में जिसके
उस आँचल की आज फिर आस है..
आज फिर दिल..
क्या ज़रूरी है बड़ा होना
अपने पैरों पर खड़ा होना..
थाम लेते थे लडखडाने पर जो
हाँथों पर उन्ही मुझे विश्वास है..
आज फिर दिल..
काश चला पता पहिया ये वक़्त का मैं
काश फिर जा पता वापस उस वक़्त में..
रोक लेता..न बड़ने देता
जी लेता फिर वही..बचपन..जिसकी फिर तलाश है..
आज फिर दिल..
अंकित